- सिल्ली में गूंज महोत्सव का उद्घाटन करने आईं बॉक्सर मैरीकॉम ने भास्कर से की बातचीत
- बोलीं- मेडल मिले या न मिले, बॉक्सिंग करना जारी रखूंगी; यह मेरा पेशन
मैरीकॉम दुनिया में सफलता, संघर्ष और जीत का पर्याय बन चुकी हैं। 35 साल की उम्र में बॉक्सिंग से आठ साल दूर रहने के बाद उन्होंने इस खेल में वापसी करके हाल ही में वर्ल्ड चैंपियन का खिताब जीता। झारखंड की राजधानी रांची स्थित सिल्ली में मंगलवार को शुरू हुए गूंज महोत्सव का उद्घाटन करने पहुंचीं बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियन मैरीकॉम से भास्कर ने खेल, जिंदगी और रिटायरमेंट...हर पहलू से जुड़े सवाल पूछे। एक सधे बॉक्सर की तरह ही मैरीकॉम ने सवालों के हर पंच का जवाब काउंटर पंच से दिया। उनसे बातचीत के कुछ अंश-
सवाल: क्या दूसरी मेरी कॉम आएगी?
मैरीकॉम: दूसरी मैरीकॉम भी बन सकती है, अगर कोई इतनी मेहनत करेगी तो आ जाएगी।
सवाल: 35 साल.. जिसे स्पोर्ट्स में रिटायरमेंट की उम्र कहते हैं, आप वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बना रही हैं। इस बारे में क्या कहेंगी?
मैरीकॉम: अभी भी मेरे सपने हैं। लोग मेरे बारे में क्या बातें करते हैं, इससे मुझे फर्क नहीं पड़ता। मेरा ध्यान सिर्फ अपने काम, महत्वपूर्ण प्रतियोगिताओं पर रहता है। जब तक मैं लड़ सकती हूं, लड़ती रहूंगी। चाहे मेडल मिलने या ना मिले। बॉक्सिंग करते रहना मेरा पैशन है और ये जारी रहेगा। अब भी रोज सुबह-शाम, कभी-कभी दिनभर में तीन बार प्रैक्टिस करती हूं। किसके साथ खेलना है उसके अनुसार अपनी रणनीति बनाती हूं और प्रैक्टिस करती हूं।
सवाल: आपने कई चैंपियनशिप जीते और वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बनाए। कोई सपना जो अब भी अधूरा है?
मैरीकॉम: अधूरा तो सिर्फ ओलिंपिक गोल्ड है। सब तो मिल गया। ओलिंपिक में भी ब्रॉन्ज जीत लिया वो भी अपने से ऊपर की वेट कैटेगरी में। अब तक चैंपियन हूं तो गोल्ड क्यों नहीं आ सकता। मजबूरी है कि मेरी वेट कैटेगरी ओलिंपिक में नहीं है। ओलिंपिक में अगर मेरी वेट कैटेगरी होती, तो अब तक तो 3-4 गोल्ड आ चुके होते।
सवाल: क्या आपको लगता है कि अभी खिलाड़ियों की राह आसान हुई है?
मैरीकॉम: कोई मन से खेलेगा, तो राह आसान क्यों नहीं होगी। दूसरे खेलों का पता नहीं, पर बॉक्सिंग में मुझे लगता है कि एक बार मेडल जीतने के बाद ज्यादातर लड़कियां संतुष्ट हो जाती हैं। एक बार ब्रॉन्ज और एक बार अगर सिल्वर जीत लिया तो पेट भर जाता है। ऐसे कई खिलाड़ी हैं। देश के लिए और ज्यादा करने की भूख नहीं है।
सवाल: क्या भविष्य में झारखंड में मैरीकॉम स्कूल ऑफ बॉक्सिंग खुल सकता है?
मैरीकॉम: झारखंड की कुछ लड़कियां हैं जिन्होंने मेरा साथ खेला। मेरे बैच में रहीं। अगर मेरी जरूरत हुई तो बिल्कुल मदद करूंगी। बॉक्सिंग में यहां की लड़कियों के मार्गदर्शन के लिए बिल्कुल तैयार हूं।
सवाल: रिंग में खिलाड़ी मेरी कॉम से डरते हैं, मेरी कॉम किससे डरती हैं?
मैरीकॉम: मैं सिर्फ भगवान से डरती हूं। उनसे कभी झूठ नहीं बोल सकती। अब तक जो भी मांगा है, सब कुछ मिला।
सवाल: आपका सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग स्कूल है। लड़कियों के लिए सेल्फ डिफेंस कितना जरूरी मानती हैं?
मैरीकॉम: बहुत जरूरी है। हर जगह आपके साथ कोई नहीं होगा। सेल्फ डिफेंस, मार्शल आर्ट जानेंगी को कॉन्फिडेंट रहेंगी। कोई मुसीबत आए तो कम से कम एक-दो लोगों से तो अकेले ही निपट लेंगी।
सवाल: अच्छी मां कहलाना पसंद करती हैं या अच्छी बॉक्सर?
मैरीकॉम: मां भी अच्छी हूं और गेम में भी। तीनों बच्चे भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं और गेम भी। दोनों को ही ना नहीं कह सकती।
सवाल: मेरी कॉम फिल्म आने के बाद अधिकांश लोगों ने आपकी जिंदगी के बारे में जाना। क्या ऐसी कोई बात जो फिल्म में नहीं दिखाई गई जो आप बताना चाहेंगी?
मैरीकॉम: फिल्म के वक्त मेरे तीसरे बच्चे की डिलीवरी होनी थी। फिल्म को बहुत समय नहीं दे पाई। फिल्म में जो भी चीजें दिखाई गईं सब सही हैं। बस हार्ड वर्क और स्ट्रगल को थोड़ा कम दिखाया। वह काफी शॉर्ट बायोपिक है।
सवाल: लड़कियों के लिए कोई मैसेज?
मैरीकॉम: बस एक ही बात कहूंगी, अगर मैं कर सकती हूं तो दूसरी लड़कियां क्यों नहीं।